क्यूबा मिसाइल संकट: कैसे टला था परमाणु युद्ध [The Cuban Missile Crisis] | DW Documentary हिन्दी

अक्टूबर 1962 में दुनिया अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु युद्ध होने से बाल-बाल बची थी. अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ़. केनेडी ने आख़िरी पलों में युद्ध को बढ़न...

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अक्टूबर 1962 में दुनिया अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु युद्ध होने से बाल-बाल बची थी. अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ़. केनेडी ने आख़िरी पलों में युद्ध को बढ़ने से रोक लिया था. लेकिन पर्दे के पीछे अमेरिका ने सोवियत संघ और इसके नेता निकिता ख़्रुश्चोफ़ को रियायतें दी थीं, जो बाद में पता चलीं. 60 के दशक की शुरुआत में बर्लिन शीतयुद्ध का अखाड़ा बना हुआ था. ईस्ट बर्लिन सोवियत के पास था और वेस्ट बर्लिन पश्चिमी देशों के पास. सोवियत ने पश्चिमी देशों से बर्लिन से निकल जाने को कहा था. जवाब में अमेरिका ने सोवियत संघ की सीमा के पास तुर्की में परमाणु क्षमता वाली मिसाइलें तैनात कर दीं. सोवियत नेता ख़्रुश्चोफ़ ने इसे उकसावे की तरह देखा. मॉस्को ने बदले में अमेरिका से सिर्फ़ 150 किमी दूर क्यूबा में अपनी परमाणु मिसाइलें तैनात कर दीं. सोवियत संघ का ऑपरेशन अनादिर बहुत ही ख़ुफ़िया तरीक़े से जून 1962 में शुरू हुआ था. क़रीब 80 कार्गो शिप से 50,000 सैनिक और दर्जनों न्यूक्लियर मिसाइलें क्यूबा पहुंचाई गईं. अमेरिका को अक्टूबर में जाकर अपने खोजी विमान से पता चला कि क्यूबा में मिसाइल साइट्स हैं. 22 अक्टूबर, 1962 को केनेडी ने टीवी पर देश की जनता को संबोधित किया. उन्होंने सोवियत मिसाइलों को अमेरिका के लिए सीधा ख़तरा बताया और क्यूबा की नौसैनिक घेराबंदी करने का एलान किया. जब अमेरिकन नेवी सोवियत जहाज़ों को रोकने के लिए बढ़ रही थी, तब दुनिया की सांस अटकी हुई थी. एक ग़लती या महज़ ग़लतफ़हमी भी तीसरा विश्व युद्ध शुरू करा सकती थी. और इस बार हथियार न्यूक्लियर थे. ख़्रुश्चोफ़ ने ख़तरा भांपा और एक कूटनीतिक प्रस्ताव रखा: अगर अमेरिका क्यूबा की फ़िदेल कास्त्रो सरकार की सुरक्षा की गारंटी दे और तुर्की से मिसाइलें हटा ले, तो सोवियत क्यूबा से मिसाइलें हटा लेगा. केनेडी मान गए. उन्होंने इस समझौते को जनता के सामने जीत की तरह पेश किया. उन्हीं के आग्रह पर सोवियत ने तुर्की से मिसाइलें हटाने की डील सार्वजनिक नहीं की. ख़्रुश्चोफ़ जो चाहते थे, उन्होंने इस प्रकरण से हासिल किया. लेकिन 1964 में उन्हें सत्ता से विदाई दे दी गई. 1971 में उनका निधन हो गया और समझौते का पूरा सच 1987 में सामने आया. क्यूबा मिसाइल संकट ने दिखाया कि इन दो न्यूक्लियर सुपरपावर्स के बीच शक्ति का संतुलन कितना नाज़ुक है. फिर इन्हीं दोनों सुपरपावर्स ने इस बात के उपाय किए कि भविष्य में तनाव इस हद तक न बढ़ जाए. #dwdocumentaryहिन्दी #dwहिन्दी #dwdocs ---------------------------------------------------------------------------------------- अगर आपको वीडियो पसंद आया और आगे भी ऐसी दिलचस्प वीडियो देखना चाहते हैं तो हमें सब्सक्राइब करना मत भूलिए. विज्ञान, तकनीक, सेहत और पर्यावरण से जुड़े वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल DW हिन्दी को फॉलो करे: @dwhindi और डॉयचे वेले की सोशल मीडिया नेटिकेट नीतियों को यहां पढ़ें: https://p.dw.com/p/MF1G

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50:37

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Published
Oct 10, 2025

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hd

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